
सिंगोली । प्रतिवर्ष तेजा दशमी तेजाजी मंदिर परिसर पर लगने वाले तेजाजी मेले से 10 दिन पुर्व अमावस्या को निकाली जाने वाली धर्म ध्वजा झण्डी व तेजा दशमी पर स्थापित होने वाली घोड़े पर विराजित तेजाजी प्रतिमा की शोभायात्रा नगर में हर्ष उल्लास से निकली ! इतिहास में कई ऐसे वीर महापुरुष हुए हैं। जिन्होंने वचन निभाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान तक दे दिया। ऐसे ही वीरों में एक नाम शामिल है। तेजाजी महाराज का जिन्होंने गायों की रक्षा के लिए एक सांप को दिया वचन भी निभाया। अपने प्राण न्यौछावर करने वाले गोरक्षक तेजाजी आज जन-जन के बीच लोक देवता तेजाजी महाराज के रूप में पूजे जाते हैं। सिंगोली नगर में तेजाजी महाराज मंदिर से सत्यवीर तेजाजी महाराज की झण्डी शनिवार सायं 7 बजे सर्व समाजजनों ने डी. जे. के साथ धूमधाम से नगर के प्रमुख मार्गो से होकर निकाली । जिसमें सत्य वीर तेजाजी महाराज के भजनों की धुन पर महिला व पुरूष भक्त नाचते गाते अपने आराध्य देव का गुणगान करते चल रहे थे।शोभायात्रा में शामिल युवाओं ने वीर तेजाजी के जयकारे लगा हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ धर्म ध्वजा झण्डी व दशमी पर स्थापित होने वाली घोड़े पर विराजित तेजाजी महाराज की प्रतिमा का नगर भ्रमण कराया इस दौरान तेजाजी के दर्शन के लिए सर्वसमाज श्रद्घालु शोभायात्रा में पहुंचे व नगर में जगह जगह नगरवासियों द्वारा पूजा अर्चना कर तेजाजी महाराज के दर्शन किए। इस मौके पर तेजाजी के मंदिर पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई शोभायात्रा नगर भ्रमण कर पुनः तेजाजी मंदिर पहुंची जहाँ पुजा अर्चना कर प्रसाद वितरण किया गया! ऐसे निभाया सांप को दिया वचन तेजाजी के मन-वचन में सत्य की भावना छाई थी। समाज सेवा में पर पीड़ा, जीव दया और नारी की रक्षा के लिए तेजाजी ने कभी भी अपने प्राणों की परवाह नहीं की। लाछा गुर्जरी की गायों को बचाने के लिए डाकूओं से लोहा लिया। गायों की रक्षा के लिए जाते समय आग में जल रहे सर्प को बचाया। जोड़े से अलग हो जाने के कारण सांप क्रोधित हो गया और तेजाजी को डसने लगा। तेजाजी ने उसे रोककर बताया कि वे गायों को बचाने जा रहे हैं। सांप को वचन दिया कि वापस लौटूंगा तब डस लेना। गोरक्षा युद्ध में तेजाजी घायल हो गए। वचन निभाने के लिए सांप के पास पहुंचे तो पूरे शरीर पर जख्म देखकर सांप ने डसने से मना कर दिया। तेजाजी ने वचन पूरा करने के लिए अपनी जीभ निकालकर कहा कि यहां घाव नहीं है यहाँ डस लेवे सत्य पर चलते हुऐ उन्होंने अपना वचन निभा प्राण त्याग दिये जिससे वह लोकदेवता के रुप में घर घर पुंजे जाते हैं।