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फारबिसगंज । आर बी लेन में स्थित तेरापंथ भवन में तेरापंथ धर्म संघ के वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण जी के दिशानिर्देश से कोलकाता से आए हुए उपासक द्वय सुशील बाफना और सुमेरमल बैद की उपस्थिति में आज पर्युषण महापर्व का चौथा दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया। वाणी संयम दिवस वाणी को संयमित करने का संदेश देता है।अनावश्यक न बोलना सबसे बड़ा मौन है। मधुरता से बोलकर अगर हम कम और हितकर बोलते है तो इस दिवस की उपयोगिता सिद्ध होती है। मनुष्य को अहितकर वचन नहीं बोलने चाहिए। अगर मनुष्य बोलना सीख जाए तो अनेक समस्याओं का हल हो सकता है। मनुष्य अगर अपने स्वर यंत्र को विश्राम देता है तो उससे ऊर्जा का भी संचय होता है। आचार्य तुलसी द्वारा रचित व्यवहार बोध के पद्य के माध्यम से मीठा बोलने की प्रेरणा दी। मीठी केवल जीभ है फीके सब पकवान। खाया पीया सब खत्म बेगम करे बयान। वाणी संयम दिवस के कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल की बहनों के द्वारा पर्युषण पर्व के वाणी संयम दिवस पर आधारित गीतिका से की गई। मुख्य उपासक सुशील बाफना ने कहा कि जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर अपनी साधना काल के बारह वर्षों में प्राय मौन ही रहे। कैवल्य प्राप्त होने के बाद ही भगवान महावीर स्वामी ने प्रवचन देने आरंभ किए थे। भगवान महावीर ने मौन को अनिवार्य मानते हुए तप का स्थान दिया है। मुख्य उपासक सुशील बाफना ने बताया कि आज दुनिया में सबसे ज्यादा समस्याएं इस वाणी के कारण ही हो रही है। जो काम करके नहीं बिगड़ता है वह काम बोलने मात्र से बिगड़ जाता है। शिष्ट समाज को जानने का सबसे बड़ा साधन है-बोलने की कला एवं उसका विवेक। इसके साथ ही मुख्य उपासक ने बताया कि हमें दो अवसरों पर बिल्कुल नहीं बोलना चाहिए एक भोजन के समय और दूसरा आवेश के क्षणों में। मौन वह है जिसमें ना इशारा हो, ना संकेत हो और ना ही हुंकार हो। सुमेरमल बैद ने धर्म सभा को प्रेरणा देते हुए कहा कि हमें बोलते समय चार महत्वपूर्ण सूत्रों का ध्यान रखना चाहिए- मितभाषिता सत्यभाषिता,मधुरभाषिता समीक्षाभाषिता। प्रत्येक प्राणी के शरीर में तीन शक्तियों निहित होती है - मन ही ,वचन की और काया की। वाणी में विष और अमृत दोनों होते हैं। मधुर हितकर और सत्य वाणी अमृत के समान होती है।जहाँ साधना का सूत्र वाक संयम है वही संपर्क का सूत्र भाषा का संयम है। उपासक द्वय की उपस्थिति में तेरापंथ भवन में कई कार्यक्रमों का आयोजन करके ज्ञान दर्शन की गंगा बहा रहे है। विगत दिवस भिक्षु चेतना वर्ष के अंतर्गत विविध भारती कार्यक्रम रखा गया जिसमें फारबिसगंज के श्रावक और श्राविकाओ ने एक से बढ़कर एक वक्तव्य कविता एवं गीतिका की प्रस्तुति दी। उपासक द्वय की उपस्थिति में महिला मंडल एवं कन्या मंडल की बैठक भी रखी गई जिसमें महिलाओं को तत्वज्ञान एवं अन्य संघीय कार्यक्रम की जानकारी दी गई वहीं कन्या मंडल की बैठक में स्पिरिचुअल एनहेंस प्रोग्राम की जानकारी दी गई। सभी कन्याओं ने उपासक द्वय से प्रेरणा लेते हुए इसमें जुड़ने की, अपनी रुचि भी व्यक्त की।पर्युषण के चौथे दिन श्रावक श्राविकाओं की अच्छी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई।