
मुम्बई। जैनो की राजनीति के नाम ख़ुद की रोटी सेंकने वालो से सावधान करता वरिष्ठ पत्रकार हार्दिक हुंडिया का ये लेख, हार्दिक हुंडिया जो ख़ुद जैन है, वो चाहते है की ऐसे लोगों से बचे, जो जैन और अजैन भाई को बीच राजनीति के नाम भेदभाव पैदा कर रहे है? जैन एक धर्म है , जो धर्म भारतीयो को विश्व में एक अलग पहचान दिलाता है, जैनो के जितने भी तीर्थंकर परमात्मा हुये है वो सब क्षत्रिय थे । जैन धर्म पालने वाले लोग कभी धर्म के नाम ख़ुद की स्वार्थी राज नीति नहीं खेलते और जो खेलते है उन्होंने धर्म को समजा नहीं है , ये बात बहुत ही मक्कमता से कहने वाले जैन समाज के श्रेष्ठी हार्दिक हुंडिया ने कहा है की जो जैन जैन करके ख़ुद के स्वार्थ के लिये राजनीति खेलते है वो जैन और अजैन भाईओ के बीच एक बहुत बड़ी खाई , दूरिया बना रहे है ऐसे लोगो से जैन और अजैन दोनों समाज को सावधान रहना चाहिए । एक जैन साधु ने एक नेता का प्रचार किया वो नेता हार गया, ये साधु ने महाराष्ट्र की एक पार्टी के ख़िलाफ़ बहुत बोला , जैसी वो पार्टी सत्ता पे आई तो वो जैन साधु वहाँ भी पहोच गया ! जब ये जैन साधु इतना स्वार्थी होता है , तो वो साधु जैनो को एक कैसे करेगा ? किसी भारत माता के संतानों में दो भाग कराये तो वो जैन साधु कैसा ? हार्दिक हुंडिया ने कहा साधु राजनीति का पाठ पढ़ाये , लेकिन राज नीति के नाम पे कूटनीति ना करे । यदि जो जैनो में, ख़ुद में दम है तो वो अपने आप देश की राजनीति में अपना स्थान बना लेते है , जैसे गुलाब चंद कटारिया, विजय दरडा, प्रदीप जैन आदित्य, विजय रूपानी, हर्ष संघवी, मंगल प्रभात लोढ़ा, पुष्प जैन, विनीत जैन, नरेंद्र मेहता, पराग शाह ऐसे कई अनगिनित जैन नाम है जो देश के सुशासन में सेवा दे रहे है , जिन्होंने कभी राज नीति में जैन धर्म के नाम का उपयोग नहीं किया, बल्कि सुशासन चलाके जैन धर्म का नाम रोशन किया है, राजस्थान के महाराणा प्रताप ने जो लड़ाइ लड़ी वो लड़ाई में अपना सब कुछ धन देने वाले भामाशाह भी जैन थे । महाराणा प्रताप की विजय यानी हम सभी की विजय। जैन बन के कुछ करना है तो देश के लिये लड़ने वाले , सुशासन करने वाले के साथ *यदि आप जैन हो तो भामाशाह बन के खड़े रहो हार्दिक हुंडिया ने कहा हम जैन है, हमारे मंदिर, उपाश्रय तक, लेकिन जब हम देश की राजनीति में आते है तो सब से पहला हमारा फ़र्ज़ है की देश के सुशासन में हम कैसे हिस्सा बने ! यदि हमने जैन धर्म को समजा है तो जैन धर्म ने कभी भी राजनीति के नाम पे जैन और अजैन भाइयो के बीच भेदभाव करना नहीं शिखाया , हम यदि जैन धर्म के अनुयाई है तो समाज में मैत्री भाव के संदेश दे यदि किसी भी जैन धर्म के अनुआई में राज करने की ताकत होगी तो अपने बलभुते पर सभी धर्म के अनुआइओ का साथ लेकर चुनाव में जीतेगा । *हार्दिक हुंडिया ने कहा जैन जैन करके करके ख़ुद के स्वार्थ के लिये राजनीति खेलने वाले पे भरोसा ना करे क्युकी उन्होंने जैन धर्म समजा होता तो वो धर्म के नाम वो काम करते जो धर्म में लिखा है । *संसार का त्याग करने वाले जैन साधु को परमात्मा के साधु वेश में संसारी काम ही करने थे तो दीक्षा ली क्यों ? जो साधु वेश में परमात्मा के नहीं हुये वो आपके और हमारे क्या होगे ? सिर्फ नेता को बुलाके ख़ुद के फोटो लोगो को दिखाके ख़ुद की रोटी शेकने वालो से बिनती है की जो रोटी ख़ुद के लिये पका रहे हो वो ख़ुद ही खाकर , जैन धर्म के नाम धर्म क्रिया करके , साधु वेश के नियम पालकर आप का भी जीवन सुधारो और हमारा भी ये उच्च भावनाओ के साथ *जो जैन जैन करके ख़ुद के स्वार्थ के कारन देश के भाई भाई के बीच लड़ाने का काम कर रहे है उनको भगवान सदबुद्धि दे।