
जावद । धार्मिक, सामाजिक, राजनेतिक साथ ही चौथा स्तम्भ पत्रकारिकता क्षेत्र में अग्रणी रहने वाले प्रेस क्लब जावद संरक्षक नारायण सोमानी ने कहा धार्मिक स्थल श्री जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा का विशेष महत्व और पौराणिक कथा है। भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, सुभद्रा भाई, बहन नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जाते है। जहा भी यह रथ निकलता है तो दर्शन करके अपने हाथो से खिंचना चाहिए ताकी पुण्य लाभ मिले साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। माहेश्वरी समाज के युवा नारायण सोमानी जावद बताया है कि पौराणिक कथा एवं परम्परा - मान्यता है कि भगवान श्री जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद यह यात्रा शुरू हुई। इस दौरान भगवान अपने भाई-बहन के साथ गुंडीचा मंदिर (मौसी का घर) जाते हैं और 7 दिनों तक वहां विश्राम करते हैं। वही बताया जाता है यात्रा से पहले, ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिनों तक बीमार पड़ते हैं और एकांतवास में रहते हैं। इस दौरान उन्हें फलों का रस, औषधि और सादा भोजन दिया जाता है। वही बताया जाता है कि यात्रा में तीन रथ शामिल होते हैं- बलभद्र का तालध्वज, सुभद्रा का दर्पदलन और जगन्नाथ का नंदीघोष ये रथ नीम और अन्य विशेष लकड़ियों से बनाए जाते हैं और हर साल नए बनते हैं। रथों को 200 से अधिक कारीगर 58 दिनों में तैयार करते हैं, और यात्रा के बाद इन्हें तोड़ दिया जाता है।